निर्मला मुंशी प्रेमचंद

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आठ जब कोई बात हमारी आशा के विरुद्ध होती है, तभी दुख होता है। मंसाराम को निर्मला से कभी इस बात की आशा न थी कि वे उसकी शिकायत करेंगी। इसलिए ...

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